Friday, June 2, 2023


 क्या जाता है तेरा दुनियां

दो दिल मिलने नहीं देती।
मुहब्बत के चमन को क्यूं
बता खिलने नहीं देती।।
दिले बेताब की उलझन
समझती क्यों नहीं आखिर।
वफा की रौशनी को भी
तू क्यों जलने नहीं देती।।
मुहब्बत ही जमाने में
क्यों तुझको रास ना आए।
मिलाकर कदमों से कदमों को
क्यों चलने नहीं देती।।
कि देकर गम जुदाई का
गिराया हमको राहों में।
बता "बौला" क्यों ये दुनियां
हमें उठने नहीं देती।।
बलजीत सिंह
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